Top Shodashi Secrets
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दिव्यौघैर्मनुजौघ-सिद्ध-निवहैः सारूप्य-मुक्तिं गतैः ।
ऐं क्लीं सौः श्री बाला त्रिपुर सुंदरी महादेव्यै सौः क्लीं ऐं स्वाहा ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं ॐ ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं
Shodashi is known for guiding devotees towards greater consciousness. Chanting her mantra promotes spiritual awakening, encouraging self-realization and alignment Along with the divine. This reward deepens internal peace and knowledge, building devotees more attuned to their spiritual aims.
Saadi mantras tend to be more accessible, useful for normal worship and also to invoke the presence of your deity in daily life.
Shodashi’s Strength fosters empathy and kindness, reminding devotees to approach Many others with comprehending and compassion. This advantage encourages harmonious associations, supporting a loving approach to interactions and fostering unity in family members, friendships, and Neighborhood.
She will be the a person possessing extreme natural beauty and possessing electrical power of delighting the senses. Fascinating intellectual and psychological admiration in the three worlds of Akash, Patal and Dharti.
क्या आप ये प्रातः स्मरण मंत्र जानते हैं ? प्रातः वंदना करने की पूरी विधि
ह्रींश्रीर्मैंमन्त्ररूपा हरिहरविनुताऽगस्त्यपत्नीप्रदिष्टा
Devotees of Shodashi engage in numerous spiritual disciplines that aim to harmonize the thoughts and senses, aligning them While using the divine consciousness. The subsequent factors define the progression towards Moksha by devotion to Shodashi:
कर्तुं मूकमनर्गल-स्रवदित-द्राक्षादि-वाग्-वैभवं
॥ get more info अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी अपराध क्षमापण स्तोत्रं ॥
Her position transcends the mere granting of worldly pleasures and extends into the purification in the soul, bringing about spiritual enlightenment.
तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा गया है जो व्यक्ति इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।